धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर भी अपनी खूबसूरत वादियों और बर्फ की चादर से ढके पहाड़ों के लिए जाना जाता है। लोग सर्दियों के समय में ऐसी जगह जाना पसंद करता है जहां बर्फबारी हो। लेकिन बर्फ की खान कहे जाने वाले अंटार्कटिका (Antarctica) कोई नहीं जा सकता। क्योंकि वहां जीवन संभव ही नहीं है। और अब अंटार्कटिका से एक बड़ी खबर सामने आई है।
अंटार्कटिका की बर्फ की चादर तेजी से गर्म हो रही है। इसके चलते बर्फ के बड़े बड़े हिमखंड पिघल रहे हैं। और अब अंटार्कटिका के तट से एक विशालकाय हिमखंड ( Iceberg ) टूट गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि यह हिमखंड दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड है। सैटेलाइट से ली गईं तस्वीरों के मुताबिक यह हिमखंड दुनिया का सबसे बड़ा पहाड़ है जो टूट कर गिरा है। यह हिमखंड 170 किलोमीटर लंबा है और करीब 25 किलोमीटर चौड़ा है।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक Iceberg A-76 अंटार्कटिका में रोने आइस शेल्फ के पश्चिमी हिस्से से टूटा और अब वेडेल सागर में तैर रहा है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के सैटलाइट तस्वीरों से नजर आ रहा है कि अंटार्कटिका के पश्चिमी हिस्से में स्थित रोन्ने आइस सेल्फ से महाकाय बर्फ का टुकड़ा टूटा है। इस Iceberg के टूटने से कोरोना से डरा हुआ दुनिया अब इससे दहशत के माहौल में है। इसका आकार स्पेनिश द्वीप मालोर्का के जितना बताया जा रहा है।
आखिर क्यों टूटा ये Iceberg ?
जलवायु परिवर्तन के चलते अंटार्कटिका की बर्फ की चादर भी गर्म हो रही है। यही कारण है कि ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं, खासकर वेडेल सागर केे पास। जैसे ही ग्लेशियर पीछे हटते हैं, बर्फ के टुकड़े टूटते जाते हैं। और यह तब तक तैरते हैं जब तक कि वे अलग नहीं हो जाते या जमीन से टकरा नहीं जाते।
इस हिमखंड के टूटने से दुनिया दहशत में है, क्योंकि इस टूटे हुए हिमखंड का टुकड़ा 4320 किलोमीटर तक फैला हुआ है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें 3-4 न्यूयॉर्क शहर बस सकते हैं। नैशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के मुताबिक इस हिमखंड के टूटने से सीधे समुद्र के जलस्तर में वृद्धि नहीं होगी लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से जलस्तर बढ़ सकता है। जो ग्लेशियर्स के बहाव और बर्फ की धाराओं की गति को धीमा कर सकता है। सेंटर ने यह भी चेतावनी दी है कि अंटार्कटिका धरती के अन्य हिस्सों की तुलना में ज्यादा तेजी से गरम हो रहा है।
इस विशालकाय हिमखंड को ए-76 (Iceberg A-76) नाम दिया गया है। इस हिमखंड की तस्वीर को यूरोपीय यूनियन के सैटलाइट कापरनिकस सेंटीनल ने खींचा है। जो धरती के ध्रुवीय इलाके पर नजर रखता है। अंटार्कटिका में बर्फ के रूप में इतना पानी जमा है कि जिसके पिघलने पर दुनियाभर में समुद्र का जलस्तर 150-200 फुट तक बढ़ सकता है।